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Bhaarateey Arthavyavastha ka Aarthik Dhaancha Poonjeevaadee Banaam Samaajavaadee Paddhati

भारतीय अर्थव्यवस्था का आर्थिक ढाँचा हमारे देश के विकास और प्रगति को समझने का सबसे महत्वपूर्ण आधार है। इसमें कृषि (प्राथमिक क्षेत्र), उद्योग (माध्यमिक क्षेत्र) और सेवा क्षेत्र शामिल हैं, जो मिलकर पूरे राष्ट्र की आय और उत्पादन का निर्धारण करते हैं। आर्थिक ढाँचा यह बताता है कि संसाधनों का उपयोग किस प्रकार किया जा रहा है और किस तरह से समाज की आवश्यकताओं की पूर्ति हो रही है। साथ ही, इसमें पूँजीवादी पद्धति और समाजवादी पद्धति जैसी व्यवस्थाओं के लक्षण और अंतर को जानना भी जरूरी है, क्योंकि ये किसी भी देश की आर्थिक दिशा और नीतियों को तय करते हैं।

Class 10 भारतीय अर्थव्यवस्था का आर्थिक ढाँचा – पूँजीवादी और समाजवादी पद्धति

class 10 आर्थिक विकास work sheet


प्रश्न 1. आर्थिक ढाँचा किसे कहते हैं ? भारतीय अर्थव्यवस्था के आर्थिक ढाँचे को समझाइए ।

उत्तर: अर्थतंत्र में होनेवाली विभिन्न असंख्य आर्थिक प्रवृत्तियों, विभिन्न व्यवसायों को तीन विभागों में बाँटा गया है। प्राथमिक, माध्यमिक और सेवा क्षेत्र, इस वर्गीकरण को व्यवसायिक ढाँचा कहते हैं ।

आर्थिक ढाँचा :

1. प्राथमिक क्षेत्र : अर्थतंत्र के इस विभाग में कृषि, कृषि से जुड़ी प्रवृत्तियों जैसे पशुपालन, पशुसंवर्धन, मत्स्य उद्योग, मुर्गा-बतख पालन, जंगल, कच्ची धातुओं की खुदाई आदि प्रवृत्तियों का प्राथमिक विभाग में समावेश होता है ।

2. माध्यमिक क्षेत्र : इस विभाग में छोटे-बड़े आधारभूत उद्योग, निर्माण, बिजली, गैस और पानी पूर्ति आदि प्रवृत्तियों का समावेश होता है। इस विभाग को उद्योग के रूप में पहचाना जाता है। जिसमें सुई से लेकर बड़ी- बड़ी मशीनों का समावेश होता है ।

3. सेवा-क्षेत्र : इस विभाग में अनेकविध सेवाओं का समावेश होता है । ऐसी सेवाओं में व्यापार, संचार, हवाई तथा समुद्री मार्गों, शिक्षा, स्वास्थ्य, बैंकिंग, बीमा कंपनियां, प्रवास और मनोरंजन आदि का समावेश होता है।

प्रश्न 2. उत्पादन के साधनों की जानकारी दीजिए ।

उत्तर: कच्चे माल-सामान द्वारा मानव उपयोगी वस्तुएँ बनाने की क्रिया को उत्पादन कहते हैं। उत्पादन के साधन निम्नानुसार है:

  • जमीन : सामान्य अर्थ में जमीन को हम पृथ्वी की ऊपरी परत के रूप में पहचानते है। अर्थशास्त्र में जमीन अर्थात सभी प्रकार की प्राकृतिक संपत्ति जिसमें वन, नदियाँ, पर्वत, खनिज, धातुएँ आदि का समावेश होता है। इस प्रकार जमीन उत्पादन का प्राकृतिक संसाधन है।
  • पूँजी : उत्पादन की प्रक्रिया में उपयोग में ली जानेवाली मानवसजित साधन, यंत्र, औजार, मकान आदि का समावेश होता है ।
  • श्रम : भौतिक बदले की अपेक्षा से किया जानेवाला कोई भी शारीरिक या मानसिक कार्य श्रम कहलाता है। श्रम उत्पादन का सजीव साधन है। कृषिमजदूर, मजदूर, शिक्षक, डॉक्टर, कारीगर आदि का कार्य श्रम है।
  • नियोजक : उत्पादन प्रक्रिया में भूमि, पूँजी और श्रम को कुशलतापूर्वक संयोजन करनेवाले व्यक्ति को नियोजक कहते हैं। इन तीनों साधनों को योजनापूर्वक उत्पादन में जोड़ने के कार्य को नियोजन कहते हैं।

बाजार पद्धति के लक्षण लिखिए ।

उत्तर:

  • उत्पादन के साधनों की मालिक़ी व्यक्तिगत या निजी होती है।
  • बाजार पद्धति में आर्थिक प्रवृत्ति के केन्द्र में लाभ होता है।
  • ग्राहक को पसंदगी करने के विशाल अवसर प्राप्त होते है ।
  • बाजार में सरकार का हस्तक्षेप नहीं होता है ।
  • उत्पादन के साधनों का बाँटवारा लाभ पर आधारित होता है ।
  • आर्थिक निर्णय भावतंत्र पर आधारित होते है ।

प्रश्न 2. पूँजीवादी पद्धति और समाजवादी पद्धति में अंतर लिखो।

पूँजीवादी पद्धति समाजवादी पद्धति
पूँजीवादी पद्धति में व्यक्ति आर्थिक रूप से स्वतंत्र होता है । समाजवादी पद्धति आर्थिक रूप से स्वतंत्र नहीं होती है ।
आर्थिक निर्णय लेने में राज्य का हस्तक्षेप नहीं होता है । आर्थिक निर्णय लेने में राज्य सत्ता के केन्द्र में होती है ।
लाभ प्राप्त करने का उद्देश्य होता है । लोक कल्याण का उद्देश्य होता है ।
भावतंत्र के आधार पर निर्णय लिये जाते है । लोगों की आवश्यकता को ध्यान में रखकर निर्णय लिया जाता है ।
अमेरिका, जापान, इंग्लैण्ड आदि पूँजीवादी देश है । रूस, चीन आदि साम्यवादी देश है ।

प्रश्न 3. समाजवादी पद्धति में प्रोत्साहन और दण्डात्मक कदम की जानकारी दीजिए ।

उत्तर:

  • समाजवादी पद्धति में मजदूरों से उनकी कार्यशक्ति के अनुपात में कार्य लिया जाता है और उसके बदले में उनकी आवश्यकता के अनुपात में वेतन दिया जाता है।
  • मजदूरों की कार्यक्षमता बढाने हेतु बोनस जैसे वित्तीय प्रोत्साहन दिये जाते है।
  • कई बार अच्छा कार्य करने के बदले पुरस्कार या सम्मान गैरवित्तीय प्रोत्साहन भी दिये जाते है।
  • समाजवादी पद्धति में मजदूर, कर्मचारी को बिना कार्यक्षमता के बदले पदावनति या स्थानांतरण किया जाता है ।

संक्षिप्त प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. बिना आर्थिक प्रवृत्ति किसे कहते हैं?
उत्तर: जिस प्रवृत्ति का उद्देश्य आय प्राप्त करना या खर्च करना न हो उसे बिना आर्थिक प्रवृत्ति कहते हैं। जैसे माता अपने बच्चों का लालन-पालन करे, समाज सेवा का कार्य आदि बिना आर्थिक प्रवृत्ति है।

प्रश्न 2. भारतीय अर्थतंत्र को किन तीन भागों में बाँटा गया है?
उत्तर: 1. प्राथमिक 2. माध्यमिक 3. सेवा क्षेत्र

प्रश्न 3. माध्यमिक क्षेत्र की जानकारी दीजिए।
उत्तर: इस क्षेत्र में छोटे-बड़े आधारभूत उद्योगों, निर्माण, बिजली, गैस और पानी की पूर्ति आदि प्रवृत्तियों का समावेश होता है। इस विभाग को उद्योग के रूप में भी जाना जाता है।

एक-दो वाक्यों में उत्तर

प्रश्न 1. सन 2015-16 में देश की राष्ट्रीय आय (GDP) कितनी थी?
उत्तर: 1,35,67,192 करोड़।

प्रश्न 2. प्रति व्यक्ति आय किसे कहते हैं?
उत्तर: राष्ट्रीय आय ÷ जनसंख्या।

प्रश्न 3. जीवन स्तर में किन-किन सुविधाओं का समावेश होता है?
उत्तर: अनाज, कपड़े, शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन सुविधा आदि।

प्रश्न 4. सेवा क्षेत्र में किन-किन सेवाओं का समावेश होता है?
उत्तर: व्यापार, संचार, हवाई तथा समुद्री मार्ग, शिक्षा, स्वास्थ्य, बैंकिंग, बीमा, पर्यटन व मनोरंजन।

संक्षिप्त टिप्पणी

1. द्विमुखी अर्थतंत्र :

विकाशशील देशों में द्विमुखी अर्थतंत्र पाया जाता है । एक तरफ गाँवों में पिछड़ी खेती पद्धति, पुरानी यंत्र सामग्री, रूढ़िचुस्त सामाजिक ढाँचा, कम उत्पादन पाया जाता है। दूसरी तरफ शहरों में आधुनिक उद्योग, नई उत्पादन पद्धति, आधुनिक यंत्र और वैभवी जीवनशैली होती है।

2. उत्पादन के साधनों का बाँटवारा :

सीमित साधनों का किस प्रकार उपयोग कहाँ और कितना करना है? इस पर प्रश्न उत्पन्न होता है।

  • मानव की आवश्यकताएँ असीमित होती हैं, इसलिए प्राथमिकता तय करनी पड़ती है।
  • साधन सीमित होने से वांछित आवश्यकताओं का चुनाव करना पड़ता है।
  • साधनों का वैकल्पिक उपयोग होता है।

3. बाजार पद्धति :

इसे पूँजीवादी पद्धति भी कहा जाता है। अमेरिका, जापान, इंग्लैण्ड आदि देशों ने इसे अपनाया। उत्पादन साधनों का बाँटवारा लाभ के आधार पर होता है। प्रतिस्पर्धा की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।

4. समाजवादी पद्धति :

बाजार पद्धति की विरोधी। उत्पादन साधनों की मालिक़ी राज्य की। सभी निर्णय राज्य द्वारा लिये जाते हैं। उद्देश्य लाभ नहीं बल्कि समाज का कल्याण होता है।

रिक्त स्थान पूर्ति

  1. 735 $ से कम आय वाले देश विकासशील देश है।
  2. विकासशील देशों में जनसंख्या अधिक पायी जाती है।
  3. 20% धनिक लोग 40% राष्ट्रीय आय और नीचे के 20% लोग 10% हिस्सा रखते हैं।
  4. गरीबी विकासशील देशों का चिन्ह है।
  5. आर्थिक विकास गुणात्मक तथा आर्थिक वृद्धि परिमाणात्मक है।
  6. मानवसजित उत्पादन का साधन पूँजी कहलाता है।
  7. सामान्य रूप में विकासशील देशों में प्राथमिक क्षेत्र का हिस्सा अधिक होता है।
  8. समाजवादी पद्धति में प्रतिस्पर्धा के अभाव से संशोधन नहीं होते।
  9. समाजवादी पद्धति में व्यक्तिगत स्वतंत्रता नहीं बनी रहती।
  10. बाजार पद्धति में ग्राहकों का शोषण होता है।
  11. बाजार पद्धति को पूँजीवादी कहते हैं।
  12. बाजार पद्धति में साधनों की मालिक़ी व्यक्तिगत होती है।
  13. उत्पादन के सभी साधनों की मालिक़ी राज्य की होती है।
  14. समाजवादी पद्धति में निर्णय राज्यतंत्र द्वारा लिये जाते हैं।
  15. समाजवादी पद्धति में नियंत्रण राज्य के अधिकारियों द्वारा होता है।


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