होली: रंगों का त्योहार
होली भारत का एक प्रमुख और हर्षोल्लास से भरा हुआ त्योहार है। यह पर्व फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन लोग आपसी भेदभाव भुलाकर एक-दूसरे पर रंग और गुलाल लगाते हैं, मिठाइयाँ बाँटते हैं और खुशियाँ मनाते हैं।
होली के पहले दिन होलिका दहन किया जाता है, जिसमें लकड़ियाँ और उपले जलाकर होलिका की अग्नि प्रज्वलित की जाती है। यह प्रथा भक्त प्रहलाद और होलिका की पौराणिक कथा से जुड़ी हुई है, जिसमें भगवान विष्णु ने प्रहलाद की रक्षा की और बुराई का अंत किया।
होली के दिन बच्चे और बड़े सभी रंगों से खेलते हैं, पानी भरे गुब्बारे फेंकते हैं और ‘होली है!’ के जयकारे लगाते हैं। विशेष रूप से गुझिया, मालपुआ, ठंडाई और अन्य पारंपरिक पकवान इस त्योहार का आनंद बढ़ाते हैं। ब्रज की होली, लट्ठमार होली और फूलों की होली इस पर्व के विशेष आकर्षण होते हैं।
यह त्योहार हमें प्रेम, भाईचारे और सौहार्द का संदेश देता है। इस दिन लोग पुराने गिले-शिकवे भूलकर नए रिश्तों की शुरुआत करते हैं। होली सिर्फ रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि सामाजिक सौहार्द और उल्लास का प्रतीक भी है।
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